“इशारा” Ushesh Tripathi 10 years ago हर बाब बन्द और दरीचे खुलीं थीं घर की इशारा इस ओर था, कोई चोरी छुपे ही सहीं झरोखों से मगर इन्तजार में राहें निहार रहा था,