इश्क आंखों में डूबा रहता है,
रोम- रोम में रहता है।
लबों को छूकर जाता है ,
जग में तन्हा कर जाता है।
सरगोशी सी कर जाता है,
गुपचुप सी हंसी दिलाता है।
जाने क्या क्या कह जाता है
जग सतरंगी कर जाता है
निमिषा
इश्क आंखों में डूबा रहता है,
रोम- रोम में रहता है।
लबों को छूकर जाता है ,
जग में तन्हा कर जाता है।
सरगोशी सी कर जाता है,
गुपचुप सी हंसी दिलाता है।
जाने क्या क्या कह जाता है
जग सतरंगी कर जाता है
निमिषा