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इश्क…

खुदा ने भी क्या बेखुदी ,
बख्शी है ,
खुद को ही ख़ाक करने मे ,
हमने ख़ुशी समझी है !
( निसार )

तुझसे इश्क क्या किया ,
गलतियों के बूत बन गए,
लोग कहते है की ,
अब हम भी इंसान बन गए !
(निसार)
दिल खो गया इश्क के बाजार मे ,
सब लूट गया इश्क के व्यापार मे ,
जपते है नाम तेरा सांसो के साथ मे ,
लोग कहते है बदली जात इस बेईमान ने !
(निसार)

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