झूठ की फसल बोई और सच की तलाश जारी है
अत्याचार की आज कल की दुनिया पुजारी है
उठाता नहीं कोई जुल्म के विरुद्ध आवाज
अविश्वास के इस दौर में जीने की लाचारी है
झूठ की फसल बोई और सच की तलाश जारी है
अत्याचार की आज कल की दुनिया पुजारी है
उठाता नहीं कोई जुल्म के विरुद्ध आवाज
अविश्वास के इस दौर में जीने की लाचारी है