उम्मीदों का ठेला लेकर रोज निकल जाता है कोई,
कागज़ कोरे जेब में लेकर रोज निकल जाता है कोई।।
कलम कीमती है कितनी ये भटक राह में जाना है,
तभी बैग में स्याही लेकर रोज निकल जाता है कोई।।
राही अंजाना
उम्मीदों का ठेला लेकर रोज निकल जाता है कोई,
कागज़ कोरे जेब में लेकर रोज निकल जाता है कोई।।
कलम कीमती है कितनी ये भटक राह में जाना है,
तभी बैग में स्याही लेकर रोज निकल जाता है कोई।।
राही अंजाना