उम्मीदों का ठेला राही अंजाना 5 years ago उम्मीदों का ठेला लेकर रोज निकल जाता है कोई, कागज़ कोरे जेब में लेकर रोज निकल जाता है कोई।। कलम कीमती है कितनी ये भटक राह में जाना है, तभी बैग में स्याही लेकर रोज निकल जाता है कोई।। राही अंजाना