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“उम्मीद-ऐ-दिल”

 

उम्मीद-ऐ-दिल से हर कोई बफा नहीं करता
खुवाईश-ऐ-मंज़िल से हर कोई गिला नहीं करता
निकल पड़ते है न जाने कितने ही लोग सफर-ऐ-इश्क़ की तरफ
मगर ये इश्क़-ऐ-मंज़िल हर किसी को मिला नहीं करता

देव कुमार

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