“उम्मीद-ऐ-दिल” Ajnabi 7 years ago उम्मीद-ऐ-दिल से हर कोई बफा नहीं करता खुवाईश-ऐ-मंज़िल से हर कोई गिला नहीं करता निकल पड़ते है न जाने कितने ही लोग सफर-ऐ-इश्क़ की तरफ मगर ये इश्क़-ऐ-मंज़िल हर किसी को मिला नहीं करता देव कुमार