उसका आमद, इस पार है क्या,
क्या मेरा, इन्तेजार है क्या?
हर पल वो, रंग बदलता है,
गिरगिट का, रिश्तेदार है क्या
दिल ने दिल से, हामी भर दी,
क्या अब उसका, इनकार है क्या?
वो हिज्र के दिन, तो बीत गए
क्या अब भी वो, बीमार है क्या?
हर बार चमन, में कांटे मिले,
इस बार ये, पहली बार है क्या?
वो कलम से, वार करता है,
क्या सच में, पत्रकार है क्या?
सच बोलो तो, कांटे मिलते है,
ये बुझदिल की, सरकार है क्या?
तेरा उससे, इनकार है क्यों,
क्या वो इतना, बेकार है क्या?
हर मोड़ पे, झूठे मिलते है,
ये झूठों का, बाज़ार है क्या?
वो आजकल, क्यों है ख़ामोश,
क्या कोई अंदर, वार है क्या?