अब एन्टिना कोई घुमाता नहीं,
छत पर यूँहीं कोई जाता नहीं,
बैठे रहता हर एक यहां फैल कर,
अब रिमोट से ऊँगली हटाता नहीं।।
राही (अंजाना)
ऊँगली

अब एन्टिना कोई घुमाता नहीं,
छत पर यूँहीं कोई जाता नहीं,
बैठे रहता हर एक यहां फैल कर,
अब रिमोट से ऊँगली हटाता नहीं।।
राही (अंजाना)