एक आहट सी सुनी है तेरे जाने के बाद
कोई समझाए क्या बारहा समझाने के बाद
डूबा बैठा हूँ न जाने किस सोच के समुन्दर में
हर लहर लौट आ जाती एक लहर जाने के बाद
जान पहचान में ये मुनासिंब न सही लेकिन
कोई हाथ न छूटे एक बार दिल मिलाने के बाद
यू तो दुनिया है यहाँ सब लोग भी अपने है
कोई जुस्तजू भी जरूरी है इस ज़माने के बाद
कोई फरियाद नहीं करता बन्दों से ‘अरमान’
सर झुकता नहीं ख़ुदा के आगे सर झुकाने के बाद
राजेश ‘अरमान’