एक उम्मीद फिर से छुट गई। ज्योति कुमार 6 years ago एक उम्मीद फिर हाथ से छुट गयी, देखते ही देखते एक और रिस्ता टुट गई। इस तरह तोड़ा है— मतलबी दुनिया मेरा दिल । अब जिन्दगी भी हमसे ऱूठ गयी।।