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एक ख्वाहिश मेरी भी

ख़्वाब देखती है आँखै मेरी भी
उड़ना चाहती हु मै भी
पढू , लिखू बनू अफसर मै भी
आकाश मै उड़ता जहाज देखू मै जब भी
साथ वो अपने मुझे ले जाता है
पढ़ने , लिखने का जो तुम
मुझको एक मौका दे दो
है तो हक़ मेरा , पर तुम
अपनी जायदाद समझकर देदो
एक रोज अफसर बन
तुमको भी जहाज मै बिठा
आकाश की सैर कराऊँगी मै
मुझे न सही मेरी, ख्वाहिश को अपना समझ लो
बेटो को तो आजमा लिया सबने ,
अब मुझको भी अपनी अजमाइस का एक मौका दे दो !

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