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एक राह अक्सर चलोगे

एक राह अक्सर चलोगे

मिले न मिले तुम याद अक्सर करोगे,

हम गुमसुम बैठे अगर तुम बात अक्सर करोगे ,

नुमाइश होगी कुछ अगर पूछ लेना हमसे ,

हमारी याद आये तो तुम बात अक्सर करोगे,

ज़िन्दगी की पहल भी अजीब है,

जीने की राह मिल जाये तो तुम साथ अक्सर चलोगे,

तुम्हे नहीं पता नाम हमारा ,

तुम बिन नाम के भी याद अक्सर करोगे ,

कभी भूल जाऊ रास्तें या चहेरे कही,

तुम यादों में आकर साथ अक्सर चलोगे,

मुझे नहीं पता ये मौत कब गले लगा ले,

तुम ढूंढ लेना मुझे ,लगेगा की जीने को साथ अक्सर चलोगे.

निशित लोढ़ा

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