वो कफन था जो दामन-ए-यार बना फिरता था,
मेरा वहम मेरे अंदर ऐतबार बना फिरता था..
कुछ दिखा नही ज़माने में सिवाए मतलब के,
एक मैं ही था जो दिलों में प्यार बना फिरता था..
वो कफन था जो दामन-ए-यार बना फिरता था,
मेरा वहम मेरे अंदर ऐतबार बना फिरता था..
कुछ दिखा नही ज़माने में सिवाए मतलब के,
एक मैं ही था जो दिलों में प्यार बना फिरता था..