निष्ठा ना कमजोर कभी करना प्रभु,
नेक रस्ते पर ही हो चलना प्रभु।
भूलकर भी किसी का दिल ना दुखाऊॅं,
ऐसा आशीष मुझको देना प्रभु।
दिल दुखाना चाहे यदि कोई और मेरा,
उस राह पर ही ना जाऊॅं कभी
सबसे प्रेम से ही बोलूॅं सदा,
मीठी वाणी मेरी रखना प्रभु।
सत्कर्म हों हमेशा हाथों से मेरे,
हाथों में इतनी बरकत करना प्रभु।
_________✍गीता