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ऐ खुदा ! तू ही बचा….

चांद आया है जमीं पर
आज मिलने को गले

रमजान पूरे हो गए और
ईद मिलने हम चले

रोंकती राहें हमें है
मिलने जा तू ना कहीं

खौफ दिल में ये भरा है
साँस थम जाए ना कहीं

जो होगा देखा जाएगा
हम ईद मिलने जाएंगे

सवाल उठता है बार-बार
क्या घर लौट के फिर आएंगे ?

कैसा वक्त आया है खुदा ?
इंसान ही बैरी बना

कैसी दूरियां ये आ गईं ?
सब कहते हैं इसे कोरोना

ऐ खुदा ! अब तू ही बचा
अपने मासूम बंदो को

फिर जलाकर के चिराग
रौशन कर दे चमन को।।

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