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ओस की बूंदों सी वो मुझको नज़र आती है

ओस की बूंदों सी वो मुझको नज़र आती है,
जब छूने चलों उसको तो वो झट से छटक जाती है,
पेड़ पौधों पर हक ऐ प्यार जताती है मगर,
मेरी मौजूदगी सी भी जैसे दुश्मनी निभा जाती है।।
राही (अंजाना)

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