कइस अकेला है वह, मुझे जाने दो
जो किया है वादा, मुझे निभाने दो
वो समां भी कितना रंगीन होगा
जब मिल बैठेंगे दीवाने दो
चलेंगी रात भर इस दिल की बातें
और भरेंगे मय के पैमाने दो
बनना चाहता है वो गवाह इस मंज़र का
खैर,रोको मत उसको, अंदर आने दो
अभी तो हाथ में लिया है जाम-ऐ-खुशनसीबी
कुछ देर तेहरो, ज़रा इसको हलक में उतर जाने दो
मुमकिन नहीं है समझना, बातें दिलो की
रुको तुम, ज़रा उसको समझाने दो
रोशन हो जाएगा तुम्हारा, ये बेहाल कूचा भी
ज़रा उस चाँद को ज़मी पैर उतर जाने दो
कहते हो की इश्क़ में कोई दर्द नहीं है
ज़रा एक बार हमें भी इश्क़ को सताने दो
सुना है हल्का हो जाता है दिल कइस,
चलो आज हमें भी आंसू बहाने दो
तुम्हारी मोहोब्बत का अंजाम भी ठीक वैसा ही है
जैसे हो किसी सागर के किनारे दो………………………………!!
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