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कच्ची मिट्टी के हम पुतले

कच्ची मिट्टी के हम पुतले,

तपे गर जीवन भट्टी में,

तो  जगतहार  बने,

जैसे  सोना तप भट्टी में ,

अलंकार.  बने ,

कच्ची मिट्टी के हम पुतले,

अपनी. किस्मत आप गढ़े,

जैसे बरखा की कोई बूँद,

सीप में गिर मोती बने,

कच्ची मिट्टी के हम पुतले,

तपे न गर जीवन में,

तो फिर बेकार जीए,

बनते-मिटते ये जीवन क्या,

कितने ही जन्मो का चक्र,

हमने  पार. किए, जैसे

गीली मिट्टी चाक पर,

फीर- फीर  हर बार,

बने, हर बार मिटे ।

https://ritusoni70ritusoni70.wordpress.com/2016/07/12

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