कठपुतली राही अंजाना 5 years ago दिल ने धड़कन की ही मान लो के अब सुनना छोड़ दी, स्त्री को नचाया जबसे इंसा ने कठपुतली बुनना छोड़ दी, देखती ही रहीं आँखों की दोनों पुतलियाँ एक दूजे को, उँगलियों के इशारों पर हाथों ने सुतली चुनना छोड़ दी।। राही अंजाना