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कड़वा सच

सच है एक कड़वी दवा,
इसको धीरे-धीरे पिला।
आदत तो हो जाने दे,
इतना सच कैसे झेलूॅं,
चाक सीना तो सी लूॅ़ं।
भरम में ही जीती आई हूँ,
भरम में ही जी लेने दे,
सच है बहुत कड़वी दवा,
धीरे-धीरे पीने दे..
इसे धीरे-धीरे पीने दे॥
_____✍️गीता

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