जैसे ही शरीक हुए , महफ़िल – ए – मय में …..
जाम पर जाम होंठो से टकराते गए…..
हर एक घूंट के साथ …..
हम उनके साथ बिताये हुए , संगीन लम्हें भुलाते गए …..
करामात – ए – मय देखिये , जितना भुलाया था उन्हें…
नशा उतरने के बाद वो उतना ही याद आते रहे…..
पंकजोम ” प्रेम “