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करिश्मा अपने वतन के

मेरा आन वतन, मेरा बान वतन, मेरा शान वतन।
गैरो में दम कहाँ जो करे, हमारे वतन को पतन।।
अनेक आए अनेक गए, बाल न बांका कर सका।
मेरा भारत भारत ही रहा, कोई न इसे झुका सका।।
मशाल ले कर जंग में कूदना, यही हमारी करामाती है ।
वतन पे हो जाएं हँस के कुर्बान, यही हमारी शरारती है ।।
कहे कवि- दुश्मनो ने राहों में कांटे ही कांटे बिछा दिए।
हम कांटे को सिंच कर नेहरू के लिए गुलाब बना दिए।।

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