Site icon Saavan

कर्मयोग

कर्म ही पूजा और न दूजा ,
किस्मत का दरवाजा।

किया कर्म तो सोई किस्मत का खुल जाए ताला।

भाग्य बदल कर रख दो अपना ,
कर्म करो और साथ लो अपना।

रेखाओं पर गर खुद को छोड़ा तो,
भाग्य.. फिर सो जाएगा,
कितना भी उसे मनाओगे
तुमसे रूठ वो
जाएगा।
करो भरोसा रब पर केवल,
भवसागर तर जाएगा।
कैसी भी विषम परिस्थितियों में,
संबल फिर मिल जाएगा।
कर्मयोगी हरि नाम का जादू ,
पार उतार ले जाएगा।

निमिषा सिंघल

Exit mobile version