कविताऐं मुझे पढ़तीं हैं
या मैं कविताओं को
यह आज तक समझ नहीं आया
क्यूं मेरा किरदार
किसे कहानी को न भाया।
कभी रुकी कलम
तो कभी पेज भर आया
मैंने जितना लिखना चाहा
कभी उतना लिख नहीं पाया।
अंत में लिखूँगा उतना ही
जितना दुनिया ने सुनना चाहा मुझे जितना ही
ज्यादा स्याही, पन्ने बर्बाद नहीं करूंगा
मैं आपकी पसंद का खास ख्याल रखूंगा।
