कविता की रौनक लो Satish Chandra Pandey 3 years ago आओ कविता की रौनक लो दर्द भुला दो, प्यार बढ़ा दो, जीवन के रंग छक लो। भीतर भीतर जो पीड़ा हो, पीड़ा को ढक लो। आओ, कविता की रौनक लो।