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कविता की रौनक लो

आओ कविता की रौनक लो
दर्द भुला दो, प्यार बढ़ा दो,
जीवन के रंग छक लो।
भीतर भीतर जो पीड़ा हो,
पीड़ा को ढक लो।
आओ, कविता की रौनक लो।

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