कभी होंठों को देखते हो।
कभी बालों को देखते हो।।
कभी आँखों को देखते हो।
कभी गालों को देखते हो।।
दिल में उतर के देखो तो
फिर कवि कहलाओगे।।
कभी लंबू को देखते हो।
कभी नाटों को देखते हो।।
कभी फूलों को देखते हो।
कभी काँटों को देखते हो
दिल में उतर के देखो तो
फिर कवि कहलाओगे।।