कवि तो उड़ता पंछी है राम नरेशपुरवाला 5 years ago सारे पिंजरे तोड़ चुका वो . मन की मर्जी से जीता है. कवि तो उड़ता पंछी है जो उमंगो के आसमान मे उड़ता है कवि तो बहुत ही प्यासा है बस भावनाओ मे बहती नदी का पानी पीता है शान से वो रहता है कलम की डाल पर बैठकर सकून के पल वो जीता है