कवि Satish Chandra Pandey 4 years ago जब तलक मानव को मानव मात्र से, भेद की नजरों से देखूं तब तलक। जब तलक समभाव मेरे में न हो, तब तलक कविता कहूँ तो झूठ है। कर्म मेरा नीच है तो कवि नहीं, दृष्टि मेरी नीच है तो कवि नहीं। जो लिखूं कविता, मुझे हक भी नहीं। —- डॉ0 सतीश पाण्डेय