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कहाँ गया वो ? (रहस्य रोमांच) भाग — २

आपने भाग १ में पढ़ा – (राम उसे देख कर बुरी तरह से डर गया। वह बांध के नीचे से रास्ते के तरफ आ रहा है। आखिर वह राम से क्या चाहता है। जबकि राम अपनी कंठ को अपनी ही थूक से बार बार भीगो रहा था)अब आगे
वह अधेर उम्र की व्यक्ति राम से दस गज की दूरी बना कर बीच रास्ते पर खड़ा हो गया। कुछ देर बाद उसने कहा “मुझे प्रतिदिन इसी समय एक लीटर दूध चाहिए। क्या तुम दोगे” ?राम, जबाब में सिर हिलाया। — “मगर याद रहे दूध में किसी तरह की मिलावट नहीं होनी चाहिए ” ।राम उसकी भारी आवाज़ से पहले ही डर चूका था। उसकी रोंगटे काँटे के भांति खड़ा ही रहा। वह फिर सिर हिलाया ।इतना कह कर वह पुन: धीरे धीरे बांध के नीचे उतरने लगा। देखते ही देखते वह गायब हो गया। राम अपनी जान ले कर वहाँ से इतनी जोर साईकिल चलाया कि घर आ कर ही चैन की सांस ले पाया। उनकी पत्नी बेला के पूछने पर यह कह कर राम ने टाल दिया कि मेरे सिर में दर्द है। बेला के लाख कहने पर तब कहीं दो तीन निवाला उसने मुँह में डाला। चुपचाप बिछावन पर लेट गया। रात भर वही डरावनी आवाज उसकी कानो में गूंजती रही। वह प्रतिदिन की तरह सुबह उठा और गाय भैंस की सेवा में जुट गया । फिर शाम के चार बजे दूध ले कर बाजार चल दिया। अरे हाँ- उस रहस्यमयी के लिए अलग से एक लीटर दूध भी ले लिया था। दूध बेचते बेचते राम को बाजार में फिर देर हो गयी। डरते डरते फिर वही रास्ता से घर लौट रहा था। दूसरा रास्ता था ही नहीं जो, वह अपना घर जा सके। । मन में तरह तरह के डरावनी ख्याल उसके मष्तिस्क को झकोर कर रख देता था। फिर वही कल वाली डरावनी व सुनसान रात थी। रास्ते पर एक राही तक नहीं था। । राम जब बांध पर पहुंचा तब उसकी नजर वही अधेर उम्र की व्यक्ति पर पड़ी। वह राम से दस गज की दूरी पर दूध लेने के लिए एक कमंडल ले कर बीच रास्ते पे खड़ा था।
शेष अगले अंक में

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