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कहाँ है फुर्सत

आजकल जिन्दगी देती
कहाँ है फुर्सत
बस जिम्मेदारियों के बोझ
तले दबी रहती हूँ
मिलता कहाँ है वक्त
खुद के लिए
बस कभी कभार
खुद को निहार लेती हूँ
जब याद आती है तेरी तो
दिल को सम्भाल लेती हूँ

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