दस्तकश कहां जाओगे।
क्या मुझे भूल पाओगे।
मैं तो तुम्हारी आदत हूं,
क्या आदत बदल पाओगे।
ख्वाब में मैं, जेहन में मैं,
हर-शू मुझे हर पल पाओगे।
इतना आसां नहीं भूल पाना,
बगैर मेरे संभल पाओगे।
दिल से ‘देव’ पुकार तो लो,
आज पाओगे, मुझे कल पाओगे।
देवेश साखरे ‘देव’
दस्तकश- हाथ छुड़ा कर