कहीं कोई इक लफ़्ज ही खिल जाये Priya Gupta 10 years ago कोई आफ़ताब तो नहीं जिंदगी में कहीं कोई दीया ही जल जाये कोई कविता हम कह नहीं पा रहे है कहीं कोई इक लफ़्ज ही खिल जाये