कागज़ की सीढ़ी बनाकर चढ़ते नज़र आते हैं,
जो पढ़ते हैं अक्सर वही बढ़ते नज़र आते हैं,
किसी कलम की स्याही सा जिंदगी में चलने वाले,
ख्वाबों को हकीकत का सच गढ़ते नज़र आते हैं।।
राही अंजाना
कागज़ की सीढ़ी बनाकर चढ़ते नज़र आते हैं,
जो पढ़ते हैं अक्सर वही बढ़ते नज़र आते हैं,
किसी कलम की स्याही सा जिंदगी में चलने वाले,
ख्वाबों को हकीकत का सच गढ़ते नज़र आते हैं।।
राही अंजाना