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कालेज का नियम

मुक्तक- कालेज का नियम
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अनजाने से पथ पर,
एक अनजाने से पहचान हुई,
दो दुनिया के थे दोनों,
मानों अंबर का मिलन धरती से हुई|

देखा उसको पहली बार,
भूल गया खुद होशो हवास,
सारी खुशियां संग संग थी,
पपीहा बन देख रहा-
अब स्वाति बरसे तो बुझती प्यास|

एक मिनट दो मिनट,
बीत गये चालीस मिनट,
टीचर आये चले गए,
भुल गया कालेज का नियम|
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***✍ऋषि कुमार “प्रभाकर”—–

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