“किंचित ही तू मूढ़ है” Pragya 3 years ago किंचित ही तू मूढ़ है कहता मेरा मन ! क्यों फोड़ा सिर तूने निरमोही के आंगन निरमोही के आंगन में फलता प्रेम कहाँ है !! जिसको तू प्रियतम समझे वह मोहब्बत का खुदा कहाँ है ??