किया प्यार तुमसे, मैं करता रहूँगा।
रस्म- ए-वफा को निभाता रहूँगा।। किया…….
सूरत तुम्हारी मैं दिल में बसाई ।
अपना बनाने की चाहत है आई।।
मिलो न मिलो मुझसे बुलाता रहूँगा।
किया प्यार तुमसे मैं करता रहूँगा।। किया…..
छुप-छुप के देखूँ यही चाह मेरी।
कहीं भी रहो खुश नहीं आह मेरी।
हरेक गम मैं तेरा उठता रहूँगा।
किया प्यार तुमसे मैं करता रहूँगा।। किया,,,,
‘विनयचंद ‘लग जा गले यार मेरे।
किया मैं कबूल अब तो तुझे यार मेरे।।
सातो जनम तक संग-संग रहूँगा।
किया प्यार तुमसे मैं करता रहूँगा।। किया……
मैं भी अब तेरे संग संग रहूँगी।
किया प्यार तुमसे करती रहूँगी।। किया……