राह में गढ़ी है नजरें –
मगर किसके लिए ?
दूर दूर तक कोई नजर आता नहीं ,
हर तरफ है अँधेरा ही अँधेरा,
मै रौशनी कर तो लूँ –
मगर किस के लिए ?
जो मेरे साथ चले थे वो निकल गए आगे,
जो मेरे बाद आये थे वो भी निकल गए आगे,
मै रुक कर इन्तजार कर तो लूँ –
मगर किस के लिए ?
-अनिल कुमार भ्रमर –