किसान राही अंजाना 6 years ago दाने दाने को तरसे क्यों जो बीज यहाँ पर बोए, अपने ही बच्चों की खातिर क्यों वो भूखा सोए, अपनी मेहनत का वो क्यों न उचित मूल्य पिरोये, सपनों में रंग भरने को वो क्यों अपने जीवन को खोए।। राही (अंजाना)