Site icon Saavan

किसी ने ग़म दिया मुझको किसी ने घोंप दी खंजर

किसी ने ग़म दिया मुझको किसी ने घोंप दी खंजर ,

नहीं फिर प्रेम उग पाया रही दिल की ज़मी बंजर ।

मैं बर्षों से वही बैठा जहाँ तुमने कहा रुकना ,

जुदाई देख ली मैंने बडे अदभुत रहे मंजर ।।

हरेन्द्र सिंह कुशवाह

~~~एहसास~~~

Exit mobile version