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किसी सितम की जब कभी इन्तहाँ होती है

किसी सितम की जब कभी इन्तहाँ होती है!
सोती हैं ‘तकदीरें मगर आँख रोती है!
वक्त के कदमों तले कुचल जाती हैं मंजिलें,
डूबती तमन्नाओं की सहर कब होती है?

Composed By #महादेव

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