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किसी सूरत में नहीं किसान

खाली दिमाग शैतान का
खाली बैठे रहे बेईमान
निकम्मे निठल्ले हरामखोर वे
किसी सूरत में नहीं किसान

रंगे सियारों जैसे बनकर
शरीफों को कर रहे बदनाम
सार्वजनिक संपत्ति पे निर्माण
हैवानों का है यह काम…..

सूरबीर अकेले ही चलता
सबके हित की सदा करता
भेड़ बकरी के झुंड सदा
तपस्या में डालते ब्यवधान

भीड़ देख बुद्धू अक्सर
आकर्षण में बंध जाते हैं
उत्सुकतावश काम छोड़कर
कीमती वक्त करते अवसान

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