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कुछ ख्वाब कुछ अफ़साने

कुछ ख्वाब कुछ अफ़साने
वही लोग आये कुछ सुनाने

अपनी अपनी वीरानी सब की
देखने आये वो तेरे कुछ वीराने

देखने आये वो फिर ज़ख्म तेरे
कहते आये तेरे ज़ख्म कुछ सहलाने

वो भी उकता गए ग़मे ज़िंदगी से
जो आते थे कभी दिल कुछ बहलाने

सबके अपने वही ख़ज़ाने है
कुछ नए है और वही कुछ पुराने

राजेश’अरमान’

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