सिर्फ संकेतो और प्रतीकों से कुछ न होगा
सिर्फ परंपरागत तरीक़ों से कुछ न होगा
सिर्फ नारे बाज़ी से भी कुछ न होगा
सिर्फ आज़ादी से भी कुछ न होगा
सिर्फ चेहरे नहीं
चरित्र बदलना होगा
सिर्फ शतरंज के मोहरो को बदलने से क्या होगा ।
तेज
सिर्फ संकेतो और प्रतीकों से कुछ न होगा
सिर्फ परंपरागत तरीक़ों से कुछ न होगा
सिर्फ नारे बाज़ी से भी कुछ न होगा
सिर्फ आज़ादी से भी कुछ न होगा
सिर्फ चेहरे नहीं
चरित्र बदलना होगा
सिर्फ शतरंज के मोहरो को बदलने से क्या होगा ।
तेज