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कुछ

रातों को जब तारे टूटते है,ना मांगता मैं कुछ
तुम जब से आये हो,हासिल तो है सबकुछ

अपनी हँसी से तुम दिल गिरफ्तार करती हो
ये दोस्ती है सिर्फ या उसके ऊपर भी है कुछ

ये बातें मुझे कहने की जरुरत नही होती मगर
तुम्हारी मेरे लिए फ़िक्र ही मेरे लिए है सबकुछ

आखिर तुमसे दूर रह पाना क्यों है मुश्किल
तुम ज़िंदगी या इससे भी बढ़कर ही हो कुछ

तुम्हारी प्यारी बातों से बड़ा आराम मिलता है
कुछ दिल की तसली और कुछ ऐसे ही कुछ

तुम्हारे साथ बिताये हर लम्हे से सुनना है कुछ
जो उसने कह दिया और जो ना कहा है कुछ

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