कुर्सी की चाहत बचपन ऐ दिल में सजाये बैठे हैं राही अंजाना 6 years ago कुर्सी की चाहत बचपन ऐ दिल में सजाये बैठे हैं, शतरंज के सारे मोहरे अपनी मुट्ठी में दबाये बैठे हैं, इरादे किसी शीशे से साफ़ नज़र आते हैं के हम, ख़्वाबों की एक लम्बी फहरिस्त बनाये बैठे हैं।। राही (अंजाना)