तन को दीप बनाय के, मन में ज्योति जलाय
मोती हरि आरत करें, जीवन भोग लगाय
मोहक मन भावन छवि, मेघ वर्ण अति रूप
मृगी नयन कोमल बदन, लज्जित मदन अनूप
रूप राशि मुख चन्द्र सों, चकाचौंध चहुँ लोक
चकित होय चित्रवत खड़े, मोती मुदित बिलोक
किलकारी कान्हा सरस, सुन सुर मुदित अघाय
खिला बसंत ब्रज भूमि वन, जलद सरस चहुँ छाय