केवल बेटी ही नही,
बेटे भी घर जाते।
दो जुम के रोटी के लिए अपना घर– परिवार छोड़ जाते।
जो आज तक पला बाप के हाथ के छाये मे,
आज वो दुसरे शहर मे भुखे पेट सो जाते,
जब पत्नी पुछती कब आओगे लौटकर अपने शहर मे,
तो कुछ बहाना बनाकर उसे समझा देते।
केवल बेटी ही नही बेटे भी घर छोड़ जाते।
जो दिन रात करते थे ,मनमानी आज वो आँसु पी कर सो जाते ।
दो जुम की रोटी के लिए अपनो का साथ छोड़ जाते,
केवल बेटी ही नही बेटे भी घर छोड़ जाते।
जो मेज पर खाना खाते ,महलो पर सोया करते,
आज वो जमीन पर ही सो जाते,
केवल बेटी ही नही—–
जो नखरा हजार करते खाने मे,
आज वो आधे पेट खा कर सो जाते।
जो कभी अपने रूम मे किसी को सोने नही देते—
आज वो दुसरे शहर मे एक ही रूम मे,एक ही बिस्तर पर दो चार सो जाते।
केवल बेटी ही नही बेटे भी घर छोड़ जाते,
दो जुम की रोटी के लिए अपना घर परिवार छोड़ जाते।
ज्योति
मो न० 9123155481