कैसा होगा अपना हिंदुस्तान…!
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सुनो..सुनाई देगी तुम्हें
भारत माँ की चीत्कार
लहू बहे जो मेरे बेटों के-
क्यों होता जा रहा बेकार—?
शहादत मेरे लाल की–
चुप पत्थरों में सिमट गई है
मुझपर मरना मेरे बच्चों का
क्यों.सिर्फ कहानी बनकर रह गयी है
क्या सोचकर वे हुए थे क़ुर्बान
कि, ऐसा हो जाएगा अपना हिन्दुस्तान…!
राजनीति की बयारें दिशाहीन बहा करेंगी–?
हर किसी की ज़ुबान जो चाहे कहा करेंगी–?
क्यों मेरे बेटे आज के भूल बैठे है फ़र्ज़ और ईमान
तो,कहो..कैसा होगा अपना हिन्दुस्तान…!
घूस और भ्रष्टाचार–
कानून का मनमाना व्यवहार
कर्तव्य सारे भूल रहे हैं
याद सिर्फ अधिकार और अधिकार
घटने लगा है बड़े-बुजुर्गों का मान सम्मान
तो कहो-कैसा होगा अपना हिंदुस्तान
सरकारी लाभों की झपट–
गरीब बेचारे थक जाते भटक-भटक
फीके पड़ जाते उनके अरमान
तो कहो–कैसा होगा अपना हिंदुस्तान
रो रही उनकी क़ुर्बानी
कहाँ खत्म हो गयी वो बेचैनी
वो तड़प–वो जुनून
कि-बातों-बातों में
देश के नाम पर उबल पड़ते थे खून
आज ज़रूरत है सिर्फ-
सुधर जाए लोगो की —
मानसिकता और ईमान
तो, फिर कहो–
कैसा होगा अपना हिंदुस्तान–
कैसा होगा अपना हिंदुस्तान…!!
—– रंजित तिवारी
पटेल चौक ,
कटिहार (बिहार)
पिन–854105
सम्पर्क-8407082012