कैसे बांध बनाऊँ नयनों में,
अन्दर से सैलाब है आया
कैसे भूलूँ तेरी यादों को
एक माँ का मन यह जान न पाया
जुल्म हुआ है….
एक माँ के जीवन में,
कैसा दर्दनाक दिन दिखलाया॥
____✍गीता
कैसे बांध बनाऊँ नयनों में,
अन्दर से सैलाब है आया
कैसे भूलूँ तेरी यादों को
एक माँ का मन यह जान न पाया
जुल्म हुआ है….
एक माँ के जीवन में,
कैसा दर्दनाक दिन दिखलाया॥
____✍गीता